लोट खशौट कि छुट है बहिया, लोट सको तो लूट
जनता भूखी प्यासी मरे चाहिए, पीके जहर के घूंट
कम दामों में तुम जितना, हथिया सकते हो हथियालो
मेरे देश कि जनता को लूट के तुम कंगाल बनालो
कम दामों में तुमको मिलेगी भारी छूट
लोट खशौट कि छुट है बहिया, लोट सको तो लूट !
कम पैदावार कि अपवाह हम देश में फैलायेंगे
गोदामों में अनाज हम तुम्हारा पहुचेंगे
देश कि भुक्कड़ जनता से मॉल तुम्हारा बेचेंगे
मुनाफा जो बनेगा मिल बाँट के खायेंगे
हमारा तुम्हारा रिस्ता रहेगा हमेशा अटूट
लोट खशौट कि छुट है बहिया, लोट सको तो लूट!
सड्डा गला जो बच जाय वो गरीबों में बेचेंगे
सड्डे गले आनाज से देश में कुपोषण फैलायेंगे
वादा जनता से किया वो पूरा निभाएंगे
इस देश से गरीबों का नामों निसा मिटायेंगे
बटोर सको तो बटोर देश के सरे नोट
लोट खशौट कि छुट है बहिया, लोट सको तो लूट!
महंगाई को रोना भैया हम जनता के रोयेंगे
मगरमच्छ के आंसू हम भी अपने बहांगे
महगाई को कम करेंगे, कह के आयेंगे
अगले पांच सालों तक मिल मौज मनाएंगे
तुम्हे चाहिए नोट भैया हमें तो चाहिए वोट
लोट खशौट कि छुट है बहिया, लोट सको तो लूट!
महिपाल सिंह नेगी